रोम क्या है इस के प्रकार एवं इस की विषेशताए

ROM

एक non volatile Memory होती है. इसका मतलब की यह एक ऐसी memory device या storage medium होती है जो की information को permanently store करती है. इसका पूरा नाम है Read Only Memory इसके नाम से ही आपको पता चल रहा होगा की इस Memory को हम बस Read कर सकते है.

रोम के प्रकार – Types Of ROM in Hindi

वैसे तो ROM 4 Types के हैं जो की निचे दिए गए हैं.

                           

1.Masked Read Only Memory

ये सबसे पहला वाला ROM है, ये आज कल की दुनिया में इसका इस्तेमाल बिलकुल ही नहीं होता. ये Read Only Memory Hard Wired Devices है. जिसमे पहले से Pre-Programmed Data और Instruction Store किया ज्याता था. इस तरह के Memory काफी महंगे हुआ करते थे. उस ज़माने में, अभी MROM कंही भी नहीं मिलेगा.

2.Programmable Read Only Memory

ये एक ऐसा Read Only Memory है जिसको हम बस एक बार ही बदल सकते हैं. यहाँ पे बदलना मतलब PROM में कुछ नया Program डालना और  एक इसको update भी बोला ज्याता है. एक बार Update करने के बाद कोई भी इसको दोबारा Update नहीं कर सकता.

User Blank PROM खरीद ता है और उसके बाद उसमे जो Instruction डालना चाहता है वो दाल सकता है (Instruction मतलब कुछ command होते है जो कुछ काम करते हैं).

इस Memory में छोटे छोटे fuse होते हैं, जिनके अंदर programming के जरिये Instruction डाला ज्याता है. इसको एक बार programmed करने के बाद दोबारा Erase नहीं कर सकते.

3.Erasable and Programmable Read Only Memory

इस ROM का और एक Type है, इसकी खासियत यह है की इसको हम Erase भी कर सकते हैं और फिर से programmed भी कर सकते हैं. इस memory को erase करने का तरीका काफी अलग है जिसमे आपको इस Memory को 40 Minute तक Ultra Violet Light से pass किया जाता  है तब जाके ये Memory खाली होती है.

थोडा और विस्तार में जानते हैं इस काम को हासिल करने के लिए EPROM Eraserका भी इस्तेमाल होता है. Programming करते वक्त, (Programming करने का मतलब वही है Update करना या फिर कुछ नया Program डालना) इसके अंदर Charge को डाला ज्याता है, जो की करीबन 10 सालो से भी जादा तक रखा जाता है क्यूंकि Charge को बहार निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं होता इसलिए वो उस Memory के अंदर रह जाता  है.

तो इसी Charge (instruction) को Erase करने के लिए Ultra Violet Light को Quartz Crystal Window (lid) के जरिये Pass किया ज्याता है. इस Light के प्रभाव से ही सब Charge Erase हो ज्याता है. ये थी कुछ जानकारी Erasable and Programmable ROM के बारे में.

4.Electrically Erasable and Programmable Read Only Memory

Technology के बदलाव से Read Only Memory को भी बार बार बदलने की जरुरत पड़ी, इसी वजह से इस Memory का इस्तेमाल हुआ. इसकी खासियत यह है की इसको हम 10 हजार बार Erase कर सकते हैं और Programmed कर सकते हो और बस 4 से 10 Millisecond के अंदर हम इसको Erase और Programmed भी कर सकते हैं.

हम इसमें Memory के कोई भी Location को Select कर सकते हैं और उसी को हम Erase और Programmed कर सकते हैं. हम को पुरे Chip को खाली करने की कोई जरुरत ही नहीं पड़ती. इस Advantage की वजह से ये EEPROM आसन है पर धीरे है.

तो अबतक आप जान ही गए ROM क्या है (What is ROM in Hindi) और Types of ROM in Hindi अब उसके लाभ के बारे में जानते हैं.

रोम कैसे काम करता है?

जब भी हम Computer को Switch On करते हैं, तब आपके Computer और एक चट्टान में ज्यादा अंतर नहीं होता है. मतलब की दोनों की computing power एक समान ही होती है.

इसलिए कुछ तो चाहिए जो की आपके computer के भीतर होना चाहिए जो की उसे ये बताए की उसमें दुसरे hardwares जैसे की keyboard, mouse, disk drive सभी attached हैं.

इसी को generically कहा जाता है BIOS” (Basic Input Output System). भले ही शुरुवात में आपका computer इतना ज्यादा smart न हो लेकिन ये BIOS chip जो की computer में होते हैं वो computer को मदद करते हैं वो सभी startup routines को access करने में जो की stored होते हैं एक disk drive, और इसमें वो RAM का भी इस्तेमाल करते हैं सभी प्रकार के computations के लिए.

ये BIOS stored होते हैं एक ROM chip, अन्यथा computer को पता कैसे चले की उसके साथ दुसरे क्या hardwares assoicited हैं.

RAM के तरह ही ROM chips में भी columns और rows के grid होते हैं. लेकिन जहाँ पर ये columns और rows intersect करते हैं, वो इन ROM chips में fundamentally अलग होते हैं RAM chips की तुलना में.

जहाँ RAM transistors का इस्तमाल करते हैं एक capacitor को turn on या off करने के लिए, उसे intersection में access करने के लिए, वहीँ ROM diode का इस्तमाल करते हैं इन lines को connect करने के लिए अगर उनकी value हो 1. वहीँ अगर उनकी value 0 हो तब lines बिलकुल ही connected नहीं होते हैं.

ROM chip को सही ढंग से कार्य करने के लिए उसकी programming पूरी तरह से perfect होना बहुत ही आवश्यक होता है और उसके साथ complete data का होना भी महत्वपूर्ण है जब chip को create किया जा रहा हो. ऐसा इसलिए क्यूंकि आप एक standard ROM chip को दुबारा reprogram या rewrite नहीं कर सकते हैं.

यदि कुछ गलत हो जाता है या कोई data आपको update करना होता है तब ऐसे में आपको वो ROM बदलना होता है या नया बनाना होता है. इसलिए ROM Chip के original template को create करना बहुत ही कठिन कार्य होता है वहीँ इसमें बहुत से trial और error किया जाता है.

Advantages Of ROM in Hindi

तो अब जानते हैं, ROM के क्या क्या फायदे हैं तो उमीद करता उपर की सारी जानकारी समझ आगई होगी.

·         इसकी प्रकृति Non-Volatile है, जो की program स्थाई रूप से रखता है.

·         इसके data अपने आप नहीं बदलते है, बदलने से ही data बदलता है.

·         ये RAM से सस्ता होता है.

·         RAM से ज्यादा भरोसेमंद हैं. क्यूंकि RAM में Data तब तक रहता है जब तक Power Supply रहता है.

·         ये स्थिर है  और जिसको बार बार Refresh करने की कोई जरुरत नहीं.

·         इसमें data को बोहत सोच समझ के डाला ज्याता है जिसको हम बार बार बदल नहीं सकते.

ये तो कुछ जानकारी थी Advantages Of ROM in Hindi

Rom Image


 

मेरी अंतिम निर्णय

तो दोस्तों आज की जानकारी थी ROM क्या है (What is ROM in Hindi) आपको काफी अछि लगी होगी, उमीद करता हूँ आपको ये जानकारी आपके काम आये. वैसे अगर आप Student हैं तो ये जानकारी आपके ज्यादा  काम अये गी. अगर आपको RAM के बारे में जानना है तो आप मेरा दूसरा Article भी पढ़ा सकते हो.

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